सजीवन सजना: पिता चलाते हैं ऑटो, बेटी ने टीम इंडिया के लिए किया डेब्यू. यह कहानी किसी भी युवा क्रिकेटर के लिए प्रेरणा से भरी है। किसी भी क्रिकेटर का सपना होता है कि वह एक दिन अपने देश की जर्सी पहनते हुए खेले।
केरल की क्रिकेटर सजीवन सजना का ये सपना रविवार को पूरा हुआ। सजीवन के इस डेब्यू ने उन युवा क्रिकेटरों के अरमानों को भी पंख लगा दिए हैं, जिन्होंने संघर्ष को सीढ़ी बनाकर सफलता पाने का ख्वाब देखा है। केरल के वायनाड की रहने वाली सजीवन ने बांग्लादेश के खिलाफ सिलहट में खेले जा रहे पहले टी-20 इंटरनेशनल में भारत के लिए डेब्यू किया।
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लेकिन क्या आप जानते हैं कि सजीवन का सफर कितना मुश्किल रहा है?
आगे पढ़िए और जानिए सजीवन सजना की प्रेरणादायक कहानी:
गरीबी से जूझते हुए क्रिकेट का सपना
सजीवन सजना बेहद गरीब परिवार से आती हैं। उनके पिता ऑटो चलाते हैं। जबकि मां पार्षद हैं। 2018 में आई केरल की बाढ़ ने सजीवन का सबकुछ तबाह कर दिया था। लेकिन सजीवन ने हार नहीं मानी।
उन्होंने क्रिकेट खेलना जारी रखा। शुरुआती दिनों में सजीवन को एक मैच के 150 रुपये मिलते थे। 18 साल की उम्र तक उन्होंने असली क्रिकेट का बैट नहीं पकड़ा था। वह नारियल और प्लास्टिक से बने बल्ले से ही बल्लेबाजी करती थीं।
हालातों से हार नहीं मानी, सपनों को उड़ान दी
सजीवन ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। उन्हें दो बार केरल का क्रिकेटर ऑफ द ईयर अवॉर्ड भी मिल चुका है। 29 साल की उम्र में डेब्यू करने वाली सजीवन ने हार नहीं मानी और अपने सपनों को उड़ान दी।
मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए रचा इतिहास
पिछले साल उन्हें मुंबई इंडियंस ने 10 लाख में चुना था। वह इस दौरान काफी चर्चित रहीं। दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ खेले गए मुकाबले में सजीवन ने आखिरी बॉल पर छक्का मारकर मैच जिता दिया था। यह महिला टी20 इतिहास में पहली बार था, जब किसी खिलाड़ी ने लास्ट बॉल पर छक्का मारकर मैच जिताया।
फिल्मों में भी दिखा चुकी हैं अपना जलवा
खास बात यह है कि सजीवन फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं। उन्होंने 2018 में आई तमिल फिल्म “काना” में काम किया है। स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म में सजीवन सजना ने टीम इंडिया की ही एक खिलाड़ी का रोल किया था। अब उन्होंने खुद फिल्मी दुनिया से खेल की सबसे बड़ी दुनिया में एंट्री ले ली है।
ऑलराउंडर हैं सजीवन सजना
सजीवन ऑलराउंडर की भूमिका निभाती हैं। वह दाएं हाथ से बल्लेबाजी और दाएं हाथ से ऑफब्रेक गेंदबाजी करती हैं। हाल ही में उन्होंने सीनियर वुमन इंटरजोनल मल्टी-डे ट्रॉफी टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया था।
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सजीवन सजना की कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम हार ना मानें और मेहनत करते रहें तो सफलता जरूर मिलती है।
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