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जम्पा का दांव: वर्ल्ड कप के सपने या आईपीएल की चमचमाती रकम?

Sumant Mandal
4 months ago

जम्पा का दांव: वर्ल्ड कप के सपने या आईपीएल की चमचमाती रकम? ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट फैंस तब हैरान रह गए थे, जब एडम जम्पा ने अचानक आईपीएल 2024 सीजन से अपना नाम वापस ले लिया. शुरुआत में “निजी कारणों” का हवाला दिया गया, लेकिन अब जम्पा खुद इस फैसले के पीछे की असल कहानी बता रहे हैं. 2023 में क्रिकेट का भरपूर डोज पाने के बाद (भारत में IPL और फिर वनडे वर्ल्ड कप), जम्पा ने मोटे आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट की बजाय आराम और परिवार को चुना. लेकिन क्या ये सही फैसला था?

थकान और राष्ट्रीय गौरव का टकराव

जम्पा का 2023 क्रिकेट से भरा हुआ था. पूरे आईपीएल सीजन के बाद सीधे वर्ल्ड कप, वो भी तीखी भारतीय धूप में. असर साफ था – जम्पा खुद को पूरी तरह थका हुआ मान रहे थे. उन्होंने ये भी माना कि इस थकान की वजह से राजस्थान रॉयल्स के लिए वो अपना बेस्ट नहीं दे पाएंगे. इसलिए जम्पा का दांव: वर्ल्ड कप के सपने या आईपीएल की चमचमाती रकम | इससे एक दिलचस्प सवाल उठता है: क्या खिलाड़ियों को खासकर वर्ल्ड कप वाले साल में आईपीएल के मोटे कॉन्ट्रैक्ट से ज्यादा तरजीह राष्ट्रीय टीम की जीत को देनी चाहिए?

थकान से आगे: स्पिन गेंदबाजी का दांव-पेच

पर रुकिए, इस कहानी में और भी है! थकान भले ही बड़ा कारण रहा हो, लेकिन जम्पा ने राजस्थान रॉयल्स में अपने खेलने के समय को लेकर भी थोड़ी निराशा जाहिर की. रविचंद्रन अश्विन और युजवेंद्र चहल जैसे नामी स्पिनर अक्सर उन्हें टीम में जगह लेने से रोकते थे. इससे एक और सवाल खड़ा होता है: क्या पर्याप्त मैच न मिलने के डर ने जम्पा को आईपीएल से बाहर निकलने का फैसला करवाया?

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शंका और सपने: वर्ल्ड कप का मंच

जम्पा ये मानते हैं कि उनके इस फैसले को लेकर लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है. लेकिन उनका फोकस बिल्कुल साफ था – ऑस्ट्रेलिया के वर्ल्ड कप अभियान के लिए खुद को पूरी तरह से फिट रखना. बड़ी तस्वीर पर ध्यान देना तो काबिले तारीफ है, लेकिन क्या ये कामयाबी में बदल पाएगा? क्या जम्पा अपना अतिरिक्त आराम और जज्बा वर्ल्ड कप के मंच पर शानदार प्रदर्शन में बदल पाएंगे?

Zampa Skips IPL, Eyes World Cup Glory: A Calculated Gamble

सफेद बनाम लाल: क्रिकेटर की दुविधा

हालांकि, जम्पा की महत्वाकांक्षा सिर्फ सफेद गेंद के फॉर्मेट तक सीमित नहीं है. उनकी एक पुरानी ख्वाहिश टेस्ट क्रिकेट खेलने की भी है, जो क्रिकेट का असली शिखर माना जाता है. लेकिन, सफेद गेंद की क्रिकेट की लगातार मांग टेस्ट मैचों के लिए जरूरी फर्स्ट-क्लास क्रिकेट के लिए वक्त नहीं निकालने देती. दिलचस्प बात ये है कि जम्पा संभावित टेस्ट डेब्यू से ज्यादा तरजीह सीमित ओवरों की सफलता को दे रहे हैं.

क्या आप जम्पा की पसंद से सहमत हैं? क्या वर्ल्ड कप जीतना प्रतिष्ठित टेस्ट कैप, बागी ग्रीन, न पहनने के लिए सही है? अपने विचार नीचे कमेंट्स में शेयर करें! आइए क्रिकेट पर ये चर्चा आगे बढ़ाएं!

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