क्रिकेटर इंजमाम उल हक की हिंदू बुआ, जिनसे मिलने वो हिसार आए फिर वो गईं पाकिस्तान. पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर और कोच रहे इंजमाम उल हक के लिए भारत का एक गांव और उसमें रहने वाला एक परिवार बहुत खास है। यह कहानी है बंटवारे के दर्द, दो परिवारों के अटूट रिश्ते और क्रिकेट की दुनिया में नाम कमाने वाले इंजमाम उल हक की।
बंटवारे का दर्द और एक परिवार की मदद
इंजमाम उल हक के पिता हिसार के गांव हांसी में रहते थे। लेकिन जब बंटवारा हुआ तो उन्हें पाकिस्तान जाना पड़ा। परिवार तो चला गया, लेकिन हांसी के एक परिवार को वो कभी नहीं भूल पाए।
यह परिवार था पुष्पा गोयल का। बंटवारे के दौरान जब हिंसा और अराजकता का माहौल था, पुष्पा गोयल के परिवार ने इंजमाम के परिवार को न केवल शरण दी बल्कि उन्हें सुरक्षित पाकिस्तान पहुंचने में भी मदद की।
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दिल छू लेने वाली मुलाकात
कई सालों बाद, जब इंजमाम भारत आए तो उनकी मुलाकात पुष्पा गोयल के बेटे से हुई। उन्होंने इंजमाम को अपनी मां का नंबर दिया। इंजमाम ने जब पुष्पा गोयल से बात की तो उनकी आंखें नम हो गईं। यह बातचीत सिर्फ दो लोगों की नहीं थी, बल्कि दो परिवारों का मिलन था, जो बंटवारे के बाद 70 सालों से अलग थे।
शादी में खास मेहमान
पुष्पा गोयल को इंजमाम की शादी में खासतौर पर बुलाया गया। उनके लिए यह शादी किसी भी आम शादी से अलग थी। यह उनके लिए अपने परिवार से मिलने का मौका था। पुष्पा गोयल ने कहा था, “मेरे लिए मुल्तान की ये यात्रा हमेशा यादगार रहेगी।”
इंजमाम का हांसी गांव जाना
इंजमाम हमेशा से अपने पुश्तैनी गांव हांसी जाना चाहते थे। वहां की मिट्टी को छूना चाहते थे और अपने दादा की हवेली देखना चाहते थे। जब वह पाकिस्तानी टीम के साथ मोहाली आए तो उन्होंने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।
उनकी आंखों से आंसू निकल आए जब उन्होंने कहा कि वह हांसी जाना चाहते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें वहां जाने की अनुमति नहीं दी।
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एक कहानी जो खत्म नहीं हुई
यह कहानी सिर्फ बंटवारे का दर्द और दो परिवारों के मिलन की नहीं है। यह उन अटूट रिश्तों की भी कहानी है जो सीमाओं और राजनीति से परे हैं। यह कहानी इंजमाम उल हक की है, जिन्होंने क्रिकेट की दुनिया में अपना नाम कमाया, लेकिन अपने जड़ों को कभी नहीं भूले।
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